Sunday, 27 January 2013

उमेश मण्डावी की कविता


इस बार प्रस्तुत है युवा व्यंग्यकार उमेश कुमार मण्डावी की व्यंग्य-कविता "चुनाव"। कोंडागाँव (बस्तर-छत्तीसगढ़) में 23 मई 1975 को जन्मे उमेश मण्डावी यांत्रिकी में बी.ई. और हिन्दी साहित्य में एम.ए. हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केन्द्र जगदलपुर से कविताएँ प्रसारित। कवि सम्मेलनों में व्यंग्यकार के रूप में चर्चित। श्री सुरेन्द्र रावल एवं श्री केशव पटेल द्वारा साहित्यिक मार्ग-दर्शन। 
सम्प्रति : पंचायत (व्याख्याता) के पद पर शास. उ.मा.वि. कोकोड़ी (बस्तर-छ.ग.) में कार्यरत। छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद्, कोंडागाँव जिला के सचिव के रूप में साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न। प्रस्तुत है उनकी कविता : 


चुनाव


उमेश मण्डावी


एक तुनकमिजाज पत्नी ने पति से कहा :
"जानते हो जी! शर्मा सर के घर में,
टी. वी. है, फ्रिज है, गाड़ी है
उनकी बीवी के पास, हर प्रांत की साड़ी है
उनके ठाट-बाट के क्या कहने हैं!"

पति ने कहा :
"वो दो नंबर का काम करते हैं,
हम तो बस! ईमानदारी की तनख्वाह लेते हैं।"

गुस्से में पत्नी बोली :
"किसने कहा था, ईमानदारी दिखाने को
यदि बेईमानी करते, रिश्वत लेते
तो हम भी सुख-चैन से रहते
अब एक काम करो,
थोड़े ही दिनों में लोक-सभा-चुनाव होने वाले हैं
तुम अपनी ड्यूटी किसी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लगवा लो
हो सके तो, आज ही एप्लीकेशन भिजवा दो।"

पति ने कहा :
"लोग तो चुनाव में जाने से कतराते हैं
तरह-तरह के एप्लीकेशन देकर, ड्यूटी कैंसिल करवाते हैं
और तुम मुझे चुनाव में जाने को कह रही हो।"

पत्नी ने कहा :
"अजीब गँवार हो, मूर्ख हो, बेवकूफ हो
इतना भी नहीं जानते कि
चुनाव में काम करने वालों का
सरकार विशेष ध्यान रखती है
मर गये तो लाखों रुपयों की सहायता देती है
और वैसे भी
जीते जी तो कोई सुख दे नहीं पाये हो
एक सूती साड़ी तक ले नहीं पाये हो
यदि चुनाव के समय मरोगे तो
दो लाख रुपये चुनाव-बीमा का मिलेगा
जी.पी.एफ. का पैसा जल्दी निकल जायेगा
और ढेर सारे दूसरे पैसे निकल जायेंगे
हम देखते-ही-देखते लखपति बन जायेंगे
और जरा बेटी को देखो,
बेटी की शादी दहेज के कारण ही रुकी पड़ी है
आप चुनाव में जायेंगे,
शहीद हो जायेंगे
उसका घर बस जायेगा
और पप्पू को देखो,
एम.ए. फस्र्ट क्लास
पढ़-लिख कर बेरोजगार घूम रहा है
आप चुनाव में जायेंगे
तो उसकी जिंदगी सँवर जायेगी
आपकी जगह उसको अनुकम्पा नियुक्ति मिल जायेगी
वह कई बार कहता है :
"माँ! आजकल नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है
सिर्फ अनुकम्पा नियुक्ति का ही सहारा है"
और जब कभी आप सुबह
देर तक सोते रहते हैं
वो बड़ा खुश हो जाता है
दौड़ कर आपके कमरे में जाता है
लेकिन आपको जिंदा देख कर फिर नर्वस हो जाता है
कहता है :
"माँ! पिताजी बड़ी गड़बड़ करते हैं
अपनी जिंदगी जी डाले, अब मरने से डरते हैं"
"और पप्पू के पापा जरा सोचो,
जब पप्पू छोटा था,
तब आप उसका कितना ध्यान रखते थे
उसकी हर फरमाईश पूरी करते थे
और आज वो क्या माँग रहा है?
सिर्फ मरने के लिये ही तो कह रहा है
अरे! मेरे लिये नहीं,
बच्चे का दिल रखने के लिये ही सही
एक बार मर जाओ।

देवांगन साहब को देखो,
पिछले चुनाव में शहीद हुए
उनके लड़के को शानदार नौकरी मिल गयी
अपने वर्मा साहब को देखो,
पिछले चुनाव में दुर्भाग्यवश बच गये
पर रिटायरमेंट के ठीक पहले गाड़ी के नीचे आ गये
उनके लड़के को भी नौकरी मिल गयी
यह सब देख पप्पू उदास हो जाता है,
झुँझला कर कहता है :
"माँ! हम क्या ऐसे ही तंगहाल रहेंगे?
पिताजी से पूछो ना, वे कब मरेंगे?"

"और जरा अपने आपको देखो,
सूख कर काँटा हो गये हो
यदि बेमौसम मरोगे तो
चार आदमी कंधा देने के लिये ढूँढ़ना मुश्किल है
और यदि चुनाव के समय मरोगे तो
अरे वाह! आपकी अर्थी को सरकारी गाड़ी में लायेंगे
कई लोग हमारे घर आयेंगे
मन्त्री, विधायक, अधिकारी हमसे मिलने आयेंगे
और हम देखते-ही-देखते वी.आई.पी. बन जायेंगे
टी.वी. वाले मुझसे पूछेंगे :
"आपका पति चुनाव में शहीद हो गया
आप कैसा महसूस कर रही हैं?"

मैं कहूँगी :
"बड़े गर्व की बात है कि
मेरा पति देश के काम आया
पर दु:ख इस बात का है कि मेरा सिर्फ एक ही पति था
यदि आठ-दस और होते तो
मैं सबको देश के लिये शहीद कर देती।"
और हो सकता है कि
आपके मरने के बाद
किसी राजनीतिक दल का टिकट
मुझे मिल जाये
फिर मैं आपके नाम से
बड़े-बड़े स्कूल व अस्पताल बनवाऊँगी
और यह सब देख कर आप निश्चित मानिये
आपकी भटकती आत्मा को 
नरक में शांति मिल जायेगी।"




2 comments:

  1. bahut hi sundar v samsamyik chitran hai,badhai va dhanyawad

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  2. क्या बात है ...
    मण्डावी जी इतने नेक ख्याल आपको आये कहाँ से ....?..:))

    अद्भुत ...!!

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