बड़े डोंगर के इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व पर केन्द्रित एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तिका "बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर देवलोक बड़े डोंगर" का विमोचन चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि (27 मार्च 2012) को बड़े डोंगर में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री चितरंजन रावल के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। विमोचन इस पुस्तिका के लेखक श्री जयराम पात्र के कर-कमलों से ही एक अत्यन्त सादे, ग्रामीण किन्तु गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि इस पुस्तिका में दो लेखकों की सामग्री को मिला कर एक पुस्तिका का रूप दिया गया है। श्री जयराम पात्र के साथ सह-लेखक हैं श्री घनश्याम सिंह नाग।
पुस्तक में प्रकाशित छायाचित्रों के छायाकार हैं अंचल के सुपरिचित छायाकार एवं लोकचित्रकार श्री खेम वैष्णव।
जहाँ 90 वर्षीय श्री जयराम पात्र बस्तर अंचल के इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के मौखिक और गम्भीर जानकार हैं वहीं 61 वर्षीय श्री घनश्याम सिंह नाग बस्तर अंचल के एक सुपरिचित साहित्यकार तथा पुरातत्व के गम्भीर अध्येता। श्री पात्र को जीवित इतिहास और जीवित किंवदन्ती भी कहा जा सकता है। अत्यन्त श्रमपूर्वक तैयार इस पुस्तिका का सुघड़ प्रकाशन किया है "बस्तर-बन्धु" के सम्पादक श्री सुशील शर्मा ने। बड़े डोंगर के इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व की बिखरी पड़ी प्रामाणिक सामग्री को छायाकार श्री खेम वैष्णव द्वारा उपलब्ध कराये गये सम्बन्धित स्थलों के रंगीन चित्रों से सजा कर इस पुस्तिका में रोचक किन्तु गम्भीर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
विमोचन के पूर्व प्रकाशक श्री सुशील शर्मा ने वयोवृद्ध लेखक श्री जयराम पात्र का शाल एवं श्रीफल से सम्मान किया। कार्यक्रम में श्री जयराम पात्र के सुपुत्र श्री शिव पात्र एवं श्री सुनील पात्र के अलावा काफी संख्या में स्थानीय जन तथा कोंडागाँव से सर्वश्री खीरेन्द्र यादव (गीतकार एवं गायक), रामेश्वर शर्मा (कवि), हरिहर वैष्णव (साहित्यकार) और सुश्री मधु तिवारी (कवयित्री) तथा केसकाल से श्री कृष्णदत्त उपाध्याय (पत्रकार) एवं महफूज अली (पत्रकार) विशेष रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए हरिहर वैष्णव ने बताया कि श्री पात्र की लिखी पाण्डुलिपि उन्हें श्री पात्र जी ने 2003 में सौंपी थी किन्तु किन्हीं कारणों से उसका प्रकाशन इस लम्बी अवधि तक भी नहीं हो पाया था। यह सम्भवत: अभी भी मुमकिन नहीं होता यदि उन्हें इसके प्रकाशन के लिये जगज्जननी मातेश्वरी की प्रेरणा और कृपा से सुशील शर्मा जी का सम्बल नहीं मिलता। उन्होंने इसके लिये श्री शर्मा का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
श्री सुशील शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वे इस अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तिका का प्रकाशन माँ जगज्जननी की कृपा से कर सके। इसके लिये उन्होंने लेखक श्री जयराम पात्र जी का भी आभार माना। श्री कृष्णदत्त उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि बड़े डोंगर की महिमा के विषय में लेखक-द्वय ने इस पुस्तिका का प्रणयन कर और श्री सुशील शर्मा जी ने इसका प्रकाशन कर हम बस्तरवासियों पर अत्यन्त कृपा की है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री चितरंजन रावल ने इस प्रकाशन के लिये लेखक-द्वय तथा प्रकाशक को बधाई दी और कहा कि इस तरह यत्र-तत्र बिखरी पड़ी मौखिक सामग्री का संकलन और प्रकाशन अत्यन्त आवश्यक है। बड़े डोंगर निवासी और सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री एम. एस. माली ने अपने उद्बोधन में बड़े डोंगर और इसके आसपास के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महत्त्व के स्थलों के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उनके द्वारा दी गयी जानकारी को सुन कर कार्यक्रम-स्थल पर उपस्थित सभी लोगों ने उनसे माँग की कि वे अपनी मौखिक जानकारी को उपर्युक्त लेखक-द्वय की ही तरह लिपिबद्ध करें और पुस्तक-रूप में प्रकाशित करवायें ताकि वर्तमान के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी भी अपनी महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत से परिचित हो सके। पुस्तक के प्रकाशन का दायित्व श्री सुशील शर्मा ने सहर्ष लेना स्वीकार किया।
सह-लेखक श्री घनश्याम सिंह नाग ने इस पुस्तिका के प्रकाशन के लिये प्रकाशक श्री सुशील शर्मा का हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि यदि यह प्रकाशन नहीं हो पाता तो उनकी सामग्री पता नहीं किन-किन साहित्यिक चोरों के हाथ लग जाती और सारा श्रेय वे चोर ले लेते।अन्त में वयोवृद्ध लेखक श्री जयराम पात्र ने अत्यन्त भावुक हो कर प्रकाशक का आभार मानते हुए कहा कि यह केवल पुस्तक नहीं अपितु इसमें परम दयामयी माँ जगज्जननी के दर्शन होते हैं।
36 पृष्ठीय इस अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तिका का मूल्य 15.00 रुपये तथा इसके पुस्तकालय संस्करण का मूल्य 25.00 रुपये रखा गया है। इच्छुक पुस्तक-विक्रेता एवं पुस्तकालयाध्यक्ष तथा संस्थाएँ विक्रय हेतु प्रतियों के लिये श्री सुशील शर्मा, सम्पादक "बस्तर-बन्धु", काँकेर, जिला : उत्तर बस्तर, काँकेर (छ.ग.), मोबा.: 094254 59049 से सम्पर्क कर सकते हैं। इसी तरह बड़े डोंगर में श्री शिव पात्र (ग्राम : बड़े डोंगर, पो.: बड़े डोंगर (फरसगाँव), जिला : बस्तर, छ.ग., मोबा.: 95893 25653 से; बहीगाँव में श्री घनश्याम नाग (शिक्षक, ग्राम : बहीगाँव (केसकाल), जिला : बस्तर, छ.ग. मोबा.: 94242 77354 से एवं कोंडागाँव में श्री खेम वैष्णव (सरगीपाल पारा, कोंडागाँव 494226, बस्तर-छ.ग.) मोबा. : 99261 70261 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
निवेदन
महानुभाव,
भाई ललित शर्मा जी की प्रेरणा से यह मेरा पोस्ट समाचार के रूप में 'बस्तर बोल रहा है' शीर्षक ब्लॉग पर जा रहा है. मैं इस प्रेरणा और सहायता के लिए भाई ललित जी का ह्रदय से आभारी हूँ. आप सभी का प्रोत्साहन मुझे आगे काम करने में सहायक होगा. इसी आशा के साथ.
आपका अपना,
हरिहर वैष्णव
हरिहर वैष्णव जी, ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है। आशा है कि आप लेखनी द्वारा ब्लॉग जगत को समृद्ध करेगें। देवलोक बड़े डोंगर का प्रकाशन बस्तर की संस्कृति के प्रचार प्रसार एवं संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। वयोवृद्ध लेखक श्री जयराम पात्र जी एवं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteMain aapkaa aabhhaarii hun, bhaaii.
Deleteआपके ब्लाग जगत में आने के बाद बस्तर की सांस्कृतिक विरासत के विषय में साथक जानकारी मिलेगी... सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है...
ReplyDeleteMain aapkaa aabhaarii hun, bahin.
Deleteहार्दिक स्वागत है, लंबे समय से प्रतीक्षा थी.
ReplyDeleteSwaagat ke liye aabhaar.
Deletebadhai ho .. hemant bhai aapka aabhar ..aapne is ka link dekr hme ise padne ka saubhagya diya .. bastar bol raha hai , is aalekh ke liye aapke swasur ji ko bahut bahut badhai...
ReplyDeleteaaderniya harihar vaishnav ji ka swagat ewm badhai...
Swaagat avam badhaaii ke liye aabhaar.
Deleteहरिहर वैष्णव जी का ब्ळोग जगत में यह स्वागत योग्य कदम है। आपके माध्यम से अंचल की बहुत सी जानकारियाँ हम पाठकों को प्राप्त हो सकेंगी। "देवलोक बडे डोंगर" के लेखक को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteSwaagat ke liye aabhaar. Devlok Badedongar ke lekhakon tak aapkiii badhaaii pahunch jaayegii.
DeleteMain apne blog guru bhaaii Lalit Sharma jii ko naman karta hun jinke kaaran yah blog taiyaar ho saka.
ReplyDeletePranab Chatterjii ne email se TEST POST par comment diyaa:
ReplyDeleteThanks sir. after long waiting thare is about bastar by son of bastar. We are waiting for next.
Thanks again.
Pranab Chatterjee.
kondagaon
Dhannobaad Pranab.
Deleteआपका हार्दिक स्वागत है| अब इसके माध्यम से बस्तर की सार्थक जानकारियाँ हम सबको प्राप्त हो सकेंगी। बधाई ...
ReplyDeleteधन्यवाद भाई राजेश चंद्राकर जी. आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूँ, दुआ कीजिए.
ReplyDeleteआपका हार्दिक स्वागत है. हम सभी लाभान्वित होंगे.
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी. आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूँ, दुआ कीजिए.
Deleteswagat hai....
ReplyDeleteHarihar Ji Johar!
ReplyDeleteCongratulations for this very nice blog and for all your work, so precious for the culture of Bastar. I must admit I can only feel frustrated not to be able to go through it in Hindi. It takes me so long to read in nagari!
Esu Bastar me euk ni sake se, tumke khube surta lage se. Mocho bat le sab ke bare bare Johar sangwas!
Nicolas.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteMy dear Nicolas,
DeleteJohar
Thank you very much for your compliments. I know that it is very difficult for you to go through the Devnagari but you can get it translated going through 'translate this page' on google, I think.
Moke bala tumcho khube surata eiyese maantar kaay karwaan. Tumcho des to haamcho des le khube laafii hoyese. Jhataajhat aur ghan-ghan euk-jaauk nii hoye. Esu Chris cho ato asan laagese.
Ghare sab jhan ke mocho aur mocho ghar cho log man baat le johar.
Harihar
अंकल जी जोहार........ ब्लॉग बनाने के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeletekitab ka vishay atyant gyanvardhak hai.shubhkamnay.
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