tag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post2536149624701535314..comments2023-03-03T02:00:38.109-08:00Comments on बस्तर बोल रहा है: "साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी : लाला जगदलपुरी समग्र" Harihar Vaishnavhttp://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post-55811806061681532852013-06-10T22:25:08.382-07:002013-06-10T22:25:08.382-07:00प्रकाशन के समाचार से आप प्रसन्नता का अनुभव कर रहे ...प्रकाशन के समाचार से आप प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। स्वाभाविक है। श्रद्धेय लालाजी से आपका मानसिक जुड़ाव आपको यह प्रसन्नता प्रदान कर रहा है। आभार। <br /> शीर्षक में "समग्र" वस्तुत: सही नहीं है, यह मैं मानता हूँ। कारण, समग्र का अर्थ ही हुआ "सब कुछ"। दरअसल लालाजी का गद्य साहित्य इतना विपुल है कि यदि हम उनकी केवल दो किताबों ("बस्तर : इतिहास एवं संस्कृति" तथा "बस्तर लोक : कला-संस्कृति प्रसंग") को भी यथावत् सम्मिलित कर लें तो प्रस्तुत पुस्तक की पृष्ठ संख्या डेढ़ से दो हजार हो जायेगी। इसीलिये चुनिंदा गद्य साहित्य ही, जिसमें केवल पाँच या सात आलेख और लोक कथाएँ सम्मिलित हैं। इसके बावजूद इसकी पृष्ठ संख्या 582 हो गयी है और यह दो खण्डों में आ रही है। परमपिता परमेश्वर ने चाहा तो आगे "समग्र" का भी प्रकाशन सम्भव हो पायेगा। <br /> पुन: आभार। Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post-49988619842921350772013-06-10T19:17:36.870-07:002013-06-10T19:17:36.870-07:00शीर्षक में 'समग्र' और विवरण में 'चुनिं...शीर्षक में 'समग्र' और विवरण में 'चुनिंदा', क्यों है, समझ नहीं सका. बहरहाल, प्रसन्नता हो रही है, शुभकामनाएं. Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post-75542700999300198862013-06-10T08:36:05.767-07:002013-06-10T08:36:05.767-07:00Aabhharii hun.Aabhharii hun.Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post-18177393091847120632013-06-10T08:34:52.714-07:002013-06-10T08:34:52.714-07:00This comment has been removed by the author.Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4238300193711823035.post-61908237773220748632013-06-10T06:13:22.467-07:002013-06-10T06:13:22.467-07:00बहुत प्रसन्न्ता का विषय है कि हरिहर वैष्ण्व जी ने ...बहुत प्रसन्न्ता का विषय है कि हरिहर वैष्ण्व जी ने " साहित्य ऋषि लाला जगदलपुरी: लाला जगदलपुरी समग्र " लिखकर , लाला जगदलपुरी जी के साहित्य को , जन-जन तक पहुँचाने का मंगलमय<br />यज्ञ सम्पन्न किया है , उनका यह कार्य स्तुत्य है । उन्हें अशेष शुभकामनायें सम्प्रेषित करती हूँ । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.com